आओ फिर से याद करें -
उत्तर: सरस्वती-सिंधु सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1.रक्षा प्राचीर: नगरों में प्रायः पूर्व और पश्चिम दिशा में दो टीले मिलते हैं। पूर्व दिशा के टीले पर आवास क्षेत्र और पश्चिम टीले पर दुर्ग स्थित होता था। नगर के आवास क्षेत्र में सामान्य नागरिक, व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक रहते थे। जबकि दुर्ग के अंदर प्रशासनिक, सार्वजनिक भवन और अन्नागार स्थित थे। 2. सड़कें: इस सभ्यता की सड़कें नगरों को पाँच- छ: खंडों में विभाजित करती थी। मोहनजोदड़ो में मुख्य सड़कें 9.15 मीटर तथा गलियां औसतन 3 मीटर चौड़ी थी। सड़के कच्ची होती थी लेकिन साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता था। सड़कों के किनारे कूड़ेदान भी रखे जाते थे।
3. नालियां: घरों की नालियां सड़क के किनारे बड़े नाले में गिरती थी। फिर नालों के माध्यम से पानी नगर से बाहर जाता था। नालिया पक्की ईंटों की बनाई जाती थी और इन्हें ऊपर से ढक दिया जाता था।
4. भवन: सभ्यता के आवासीय भवनों में तीन-चार कमरे, रसोईघर, स्नानघर और भवन के बीच में आंगन होता था। संपन्न लोगों के घरों में कुआं और शौचालय भी होते थे। मकानों में खिड़कियां, रोशनदान, फर्श और दीवारों पर पलस्तर के साक्ष्य भी मिले हैं।
5. ईंटों का माप: सभ्यता के भवनों में 1ः2ः3 और 1ः2ः4 अनुपात की ईंटों का प्रयोग होता था।
प्रश्न 2. सरस्वती-सिंधु सभ्यता के लोगों का सामाजिक और धार्मिक जीवन कैसा था?
उत्तर: सरस्वती-सिंधु सभ्यता के लोगों का सामाजिक और धार्मिक जीवन की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
सामाजिक जीवन:
- इस सभ्यता का समाज अनेक वर्गों में विभाजित रहा होगा। जिसमें कृषक, कुंभकार, बढ़ई, नाविक, श्रमिक, आभूषण बनाने वाले शिल्पी और जुलाहे महत्वपूर्ण वर्ग थे।
- इस सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन जौ, गेहूं, चावल, फल, सब्जियां, दूध, मांस ( मछली, भेड़, बकरी, सूअर) था।
- पुरुष और स्त्रियां दोनों आभूषण पहना करते थे। आभूषणों में मुख्य रूप से हार, भुजबंद, कंगन, अंगूठी पहनी जाती थी। स्त्रियाँ काजल, सूरमा, सिंदूर भी लगाती थी।
- वे मुख्य रूप से हाथी दांत के कंधे और तांबे के शीशे का प्रयोग करते थे।
- शतरंज का खेल और नृत्य उनके मनोरंजन के साधन थे।