विश्व के प्राचीन दर्शन (प्रश्नों का हल)


आओ फिर से याद करें


प्रश्न 1. वैदिक दर्शन में मनुष्य जीवन को उन्नत बनाने वाले चार पुरुषार्थों के नाम लिखिए?
उत्तर - वैदिक दर्शन के चार पुरुषार्थ निम्नलिखित हैं:-
  1. धर्म
  2. अर्थ
  3. काम
  4. मोक्ष
प्रश्न 2. वैदिक दर्शन के चार महत्वपूर्ण स्रोतों के नाम लिखिए?
उत्तर - वैदिक दर्शन के चार महत्वपूर्ण स्त्रोत निम्नलिखित हैं-
  1. वेद
  2. ब्राह्मण ग्रंथ
  3. आरण्यक
  4. उपनिषद

प्रश्न 3. जैन दर्शन के पांच महाव्रतों के नाम लिखें?
उत्तर - जैन दर्शन के पांच महाव्रत निम्नलिखित है-
  1. अहिंसा
  2. अमृषा
  3. अस्तेय
  4. अपरिग्रह
  5. ब्रह्मचर्य

प्रश्न 4. गौतम बुद्ध के जीवन की चार महत्वपूर्ण घटनाओं के नाम बताओ?
उत्तर - गौतम बुद्ध के जीवन की चार महत्वपूर्ण घटनाएं निम्नलिखित हैं-
  • महाभिनिष्क्रमण
  • सम्बोधि
  • धर्म-चक्र प्रवर्तन
  • महापरिनिर्वाण

प्रश्न 5. पारसी दर्शन व यहूदी धर्म के संस्थापकों का उल्लेख करो?
उत्तर - पारसी दर्शन के संस्थापक आर्यों का ईरानी शासक पैगंबर जरथुस्त्र हैं।
 यहूदी दर्शन का आरंभ पैगंबर हजरत अब्राहम से माना जाता है लेकिन मूसा को ही पहले से चली आ रही परंपरा को स्थापित करने के कारण यहूदी दर्शन का संस्थापक माना जाता है।


प्रश्न 6. चीन के महान समाज सुधारक कन्फ्यूशियस का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर - चीन के महान समाज सुधारक कन्फ्यूशियस का जन्म ईसा मसीह के जन्म से करीब 550 वर्ष पहले चीन के शानदाँग प्रदेश में हुआ था।


प्रश्न 7. सभी दर्शनों का अंतिम लक्ष्य क्या है?
उत्तर- सभी दर्शनों का अंतिम लक्ष्य मनुष्य को दु:खों से मुक्ति दिला, उसे मोक्ष की प्राप्त करवाना हैं।

आइए विचार करें


प्रश्न 1. विश्व के चार दर्शनों के नाम लिखो तथा वैदिक दर्शन की विशेषताओं का वर्णन करो?
उत्तर - विश्व के चार दर्शनों के नाम निम्नलिखित है-
  1. वैदिक दर्शन
  2. जैन दर्शन
  3. बौद्ध दर्शन
  4. पारसी दर्शन
वैदिक दर्शन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
  • नैतिकता व सत्य पर आधारित
  • प्रकृति की प्रधानता
  • बहुदेववाद व एकेश्वरवाद की अवधारणा
  • चार पुरुषार्थ की अवधारणा
  • यज्ञ एवं अनुष्ठानों की प्रधानता
  • कर्म के आधार पर पूर्व जन्म के सिद्धांत की मान्यता
  • अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति
  • आत्मा की अमरता में विश्वास
  • सामाजिक कुशलता का विकास
  • सरल एवं पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा

प्रश्न 2. जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई? जैन दर्शन व बौद्ध दर्शन में क्या क्या समानताएं हैं?
उत्तर - जैन धर्म की उत्पत्ति जैन दर्शन के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा की गई।

जैन दर्शन व बौद्ध दर्शन में समानताएं :-
  • दोनों ही धर्मों ने वैदिक कर्मकांडों तथा वेदों की अपौरुषेयता का विरोध किया।
  • अहिंसा तथा सदाचार पर दोनों ही धर्मों ने बल दिया।
  • कर्मवाद, पुनर्जन्म तथा मोक्ष दोनों ही धर्मों में शामिल थे।
  • दोनों धर्मों में प्रचार-प्रसार के लिये भिक्षु संघों की स्थापना पर बल दिया गया।

प्रश्न 3. गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य का वर्णन करते हुए उनके द्वारा बताए गए अष्टमार्ग का वर्णन करो?
उत्तर - गौतम बुध के चार आर्य सत्य का वर्णन निम्नलिखित हैं-
दु:ख :- संसार में जन्म-मरण, संयोग-वियोग, लाभ-हानि सभी दु:ख ही दु:ख हैं।
दु:ख का कारण :- सभी प्रकार के दु:खों का कारण तृष्णा या वासना है।
दु:ख निरोध - तृष्णा के निवारण से या लालसा के संयम से दु:ख का निवारण हो सकता है।
दु:ख निरोध मार्ग - दु:खों पर विजय प्राप्त करने का मार्ग अष्टमार्ग है।

अष्टमार्ग - गौतम बुद्ध ने लोगों को मोक्ष प्राप्ति के लिए अष्टमार्ग पर चलने के लिए कहा। अष्ट मार्ग में इन आठ बातों का ध्यान रखना अनिवार्य था।
  1. सम्यक् दृष्टि : सत्य-असत्य, पाप-पुण्य आदि में भेद करने से ही चार आर्य सत्यों में विश्वास पैदा होता है।
  2. सम्यक् संकल्प : तृष्णा से दूर रहने, मानसिक व नैतिक विकास का संकल्प लेना।
  3. सम्यक् वाणी : हमेशा सत्य और मीठी वाणी बोलना।
  4. सम्यक् कर्म : हमेशा सच्चे और अच्छे कर्म करना।
  5. सम्यक् जीविका : अपनी आजीविका के लिए पवित्र तरीके अपनाना।
  6. सम्यक् प्रयास : अपने को अच्छा बनाने का प्रयास करना तथा शरीर को अच्छे कार्य में लगाने के लिए उचित परिश्रम करना।
  7.  सम्यक् स्मृति : अपनी गलतियों को हमेशा याद रखकर विवेक और सावधानी से कर्म करने का प्रयास करना।
  8. सम्यक् समाधि : मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान लगाना।


प्रश्न 4. पारसी व यहूदी दर्शन की शिक्षाओं का उल्लेख करें?
उत्तर - पारसी दर्शन की शिक्षाएं:-
  • शरीर नाशवान है और आत्मा अमर है। 
  • मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार सत्य और असत्य का पालन करने से स्वर्ग व नर्क की प्राप्ति होती हैं।
  • संसार में दैवी एवं दानवी दोनों प्रकार की शक्तियां हैं।
  • उनके दैनिक जीवन के अनुष्ठानों व क्रम कांडों में अग्नि देवताओं उनके प्रमुख देवता हैं।
यहूदी दर्शन की शिक्षाएं:-
  • मैं स्वामी हूँ, तेरा ईश्वर, तुझे दासता से मुक्त करने वाला है।
  • मेरे अतिरिक्त तू किसी दूसरे ईश्वर को नहीं मानेगा।
  • तू अपने स्वामी व अपने प्रभु का नाम व्यर्थ ही नहीं लेगा।
  • छह दिन तू काम करेगा तथा सातवें दिन विश्राम करेगा, यह प्रभु का दिन है।
  • अपने माता-पिता का सम्मान कर उन्हें सम्मान दें।
  • तू हत्या नहीं करेगा।
  • तू चोरी नहीं करेगा।
  • तू अपने पड़ोसी के खिलाफ झूठी गवाही नहीं देगा।
  • तू अपने पड़ोसी के मकान, पड़ोसी की पत्नी, नौकर, नौकरानी तथा उसकी सम्पत्ति पर बुरी नज़र नहीं रखेगा।

प्रश्न 5. वैदिक साहित्य की संक्षिप्त व्याख्या करो?
उत्तर - वेद संसार का प्राचीनतम, प्रमाणिक, पवित्र एवं दार्शनिक साहित्य हैं। जिसे हम वैदिक साहित्य भी कह सकते हैं। भारतीय मान्यता के अनुसार वेद शाश्वत हैं और वेद ईश्वर की वाणी हैं।
वेद चार है-
ऋग्वेद - यह सबसे प्राचीन वेद है जिसमें देवताओं के आह्वान करने के मंत्र हैं। इसमें 10 मंडल एवं 10552 मंत्र है।
यजुर्वेद - इस वेद में कर्म की प्रधानता है। इसमें 40 अध्याय एवं 1975 मंत्र हैं जिनमें अधिकतर यज्ञ के मंत्र हैं।
सामवेद - यह वेद भारतीय संस्कृति का मूल है। इसमें ऋग्वेद के मंत्रों का संगीतमय आरोप है तथा देवताओं की पूजा के मंत्र शामिल है।
अथर्ववेद - यह वेद जन सामान्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान तथा जीवन व समाज के नियमों का संकलन है। यह वेद ब्रह्म ज्ञान का उपदेश देता है व मोक्ष का उपाय भी बताता है। इसमें गणित, विज्ञान, आयुर्वेद, समाजशास्त्र, कृषि विज्ञान, चिकित्सा विधि एवं रोगों से संबंधित ज्ञान भी शामिल है।

आओ करके देखें


प्रश्न 1. विश्व के उन देशों के नाम लिखो जहां पारसी एवं यहूदी दर्शन के समर्थक निवास करते हैं?
उत्तर - भारत, ईरान, अमेरिका, पाकिस्तान, हांगकांग, सिंगापुर

Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top